चमचाराज |
सफ़लता का ग़र पहनना हो ताज़
तो बोलो जय-जय चमचाराज !
चमचाराज की ऐसी महिमा
मिलती नहीं जिसकी उपमा
निकम्मों को बनाता श्रेष्ठ कार्मिक
अज्ञानी को ज्ञान का दीपक !
सच्चाई यहाँ कुछ काम ना आती
मेहनत भी दर-दर ठोकर खाती
जीवन-मूल्यों की किसको चिंता
मासूमियत की जलती इसमें चिता !
साहस इसमें बड़ा दुर्गुण है
विवेक सबसे बड़ा अवगुण है
अंधभक्ति की इसमें ज़रूरत
आदर्शों की नहीं कोई कीमत !
मेरे मन ! तू क्यों नहीं सीखता ?
परम लाभ का ये आसान तरीका !
क्यों मुश्किलों को सीने से लगाया है
नैतिकता से क्या तूने पाया है ?
क्या दुखों से हुआ तुझे प्यार है ?
क्यों अपनी हठ पर बरकरार है ?
किंचित मन की गहराई में कहीं विश्वास है
सच्चाई की होती नहीं कभी हार है !
ये भी एक दौर है जो गुज़र जायेगा
अन्याय को रौंद न्याय मुस्काएगा
जीवन-मूल्यों में ना छोड़ना कभी आस्था
प्रभु के आशीर्वाद का यही है सच्चा रास्ता |
तो! सफ़लता का अगर पहनना हो ताज़
ईश्वर,कर्म,पुरुषार्थ पर रखो विश्वास |
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ReplyDeleteAnup Maurya likes this.
Laxmi Nair wonderful.... Jai Hind....!!!!!!!!!!!!!I appreciate ur spirit....
Wednesday at 09:04 · Unlike · 1 person
Sushila Shivran Thank you so much dear friend :)
Wednesday at 09:05 · Like
Puneet Arora you should be a soldier and than teacher
Wednesday at 12:52 · Like
Puneet Arora yahh phir aap phicthle janam mein soldier the
Wednesday at 12:53 · Like
Sushila Shivran @Punit- If every Indian becomes a soldiers by spirit, our country would be at the pinnacle!!
Wednesday at 13:43 · Like
Vineeta Saxena u are so talented ... why dont u approach a publisher and get ur work published....
Yesterday at 09:45 · Unlike · 1 person
Sushila Shivran I would give it a serious thought Vineeta. Thank you so much :)
Yesterday at 12:25 · Like
कल 28/11/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!