आकुल अंतर |
छेड़ गई दिल को मेरे
बचपन की यादों की लहर
जब था हँसना-खेलना,गाना
ना थी कभी कोई फ़िकर |
माँ की गोद में था समाया
बाल-सुलभ सुख सारा
हर कठिन घड़ी में
उसकी ममता का था सहारा |
बचपन बीता यौवन आया
जीवन में उच्छ्वास लाया
नए थे लक्ष्य, नई चुनौतियाँ
बनी सहज पा माँ का सरमाया |
हुआ विवाह तो
बेटी हुई पराई !
दिल में उठी टीस
जग ने कैसी ये रीत बनाई !
मिला ससुराल का आँगन तो
छूटा माँ का स्नेही आँचल
सब सुख हैं जीवन में लेकिन
माँ की ममता को मन आकुल !
ek beti ke bhvon ki sundar prastuti..
ReplyDeleteDhanyawaad Shalini ma'am.
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