वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |
Showing posts with label गज़ल. Show all posts
Showing posts with label गज़ल. Show all posts

Saturday, 15 September 2012

क्या होली क्या ईद !



हर लमहा काबिज वो खयालों पर 
अब भाए न कुछक्या होली क्या ईद ! 

अंधेरों से निकल रोशनी में आ जाओ

तकते राह उजालेक्या होली क्या ईद !

आज भी दिल है उसकी मुहब्बत का मुरीद

सनम की बेवफ़ाईक्या होली क्या ईद !

हम उसे चाहें हमारी नादानियाँ हैं

वो देखें न मुड़ केक्या होली क्या ईद !

जला दिलेनादां बहुत इश्‍क हुआ धुँआ-धुँआ

लगाए हैं राख दिल सेक्या होली क्या ईद !


-सुशीला श्योराण

चित्र : साभार गूगल

Sunday, 4 March 2012

सँवरी है ज़िन्दगी............




सँवरी है ज़िन्दगी खुदा की इनायत है

अल्लाह की रहमत, उसकी करामात है 


नहीं पड़ते पाँव आजकल ज़मीं पे मेरे
ज़िंदगी एक ख्वाब हसीं, तेरी करामात है

रोशन है मेरे घर का हर कोना
मुट्‍ठी में मेरी आज़ कायनात है

खुशियों ने किया है घर मेरे बसेरा
ना मैं परेशां न कोई सवालात हैं

उदासियाँमायूसियाँ गुज़री बातें हैं
आपके पहलू में प्यार भरे ज़ज़्बात हैं

-सुशीला श्योराण

Saturday, 14 January 2012

तलाश






मिलें खुद से,पता कहाँ अपना
है तलाश, वज़ूद कहाँ अपना

टेढ़े-मेढे रास्ते चलते रहे
वही ना मिला सारा जहां अपना

गाजों,बाजों,बोलों के शोर में
गाये दिल जिसे गीत कहाँ अपना

सच्चाई इंसाफ़ की उम्मीद में,
खो गया बहुत अज़ीज़ यहाँ अपना

यूँ तो अपनों की यहाँ कमी नहीं,
सुन ले अनकही मीत कहाँ अपना

सुशीला श्योराण