पहले मेरी
मातृभाषा राजस्थानी में, फिर हिन्दी भाषा में उनका अनुवाद पढ़िए । प्रस्तुत हैं तीज
के हाइकु –
मैंदी, घेवर
लहरियै रा रंग
ल्याई है तीज ।
हिना-घेवर
लहरिये के रंग
लाई है तीज ।
~~~~~~~~~~~
पींग अकास
गूँजैं सावण-गीत
कजळी तीज ।
पींगें आकाश
गूँजें सावन-गीत
कजली तीज।~
~~~~~~~~~~~
आयो सिंधारो
सिंगरो म्हारी नार
नैण कटार ।
आया सिंधारा
सजो हमारी नार
नैन कटार।
~~~~~~~~~~~~
सावण तीज
मायड़ न सिंधारो
रोवै जिवड़ो।
सावन तीज
न माँ, न ही सिंधारा
रोए जियरा ।
- शील
चित्र : साभार गूगल
मैंदी, घेवर
लहरियै रा रंग
ल्याई है तीज ।
हिना-घेवर
लहरिये के रंग
लाई है तीज ।
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पींग अकास
गूँजैं सावण-गीत
कजळी तीज ।
पींगें आकाश
गूँजें सावन-गीत
कजली तीज।~
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आयो सिंधारो
सिंगरो म्हारी नार
नैण कटार ।
आया सिंधारा
सजो हमारी नार
नैन कटार।
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सावण तीज
मायड़ न सिंधारो
रोवै जिवड़ो।
सावन तीज
न माँ, न ही सिंधारा
रोए जियरा ।
- शील
चित्र : साभार गूगल