वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |
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Sunday, 20 November 2011

नेता पुराण




खद्दर राखै चमक्योड़ी,  खूब धोळी अर ऊजळी
जनता नै ये खूब बिलमावैं, बोलैं झूठ मोकळी

इणको धरम एक, करम एक, कुरसी है इणको राम
देस, जनता जावै भाड़ मैं इणनैं बस माया सूँ काम

वोटां खातर नित नई चाल और पाखंड खिंडावैं
कदे शाहबानो, भँवरी और रूचिका नै बलि चढावैं

कदे जाट, कदे गुजर तो कदे मीणां नैं देवैं आरक्षण
है या राजनीति वोटां की, मूळ मैं है अणको भक्षण

इण सब री है एक ही जात और एक ही है औकात
मिली कुर्सी लूट; डर नीं भाया बेईमानी रो सूत कात

सुशीला श्योराण

Thursday, 4 August 2011

पधारो म्हारै देस



 पधारो म्हारै देस 


रंग-रंगीलो, छैल-छबीलो यो है म्हारो राजस्थान 

धोरा-री वीरां-री अं धरती म्हारो परणाम |


दाल-बाटी, लापसी और मीठा चूरमा 

राणा प्रतापसाँगा जिसा आठे सूरमा |


राणी पद्मिनी पद्द्मावती जैको अभिमान 

अजमेर-शरीफ़पुष्करजयपुर ज़िंकी शान !

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मेरा देस है राजा और रजवाड़ों का 

मरुभूमि, झील, नदी, पहाड़ों का |


दुर्ग, हवेली, रण, जौहर तलवार का 

चित्तौड़,जयपुर, मेवात, मारवाड़ का |


संक्रात, तीजगेरगुगा और गणगौर का 

मेहंदी, घूमर, सारंगी, मोरचंग  मोर का |


क्या इसका बखान करूँ है सब बहुत बिसेस 

यही कहूँ- केसरिया बालम पधारो म्हारै देस !