गूँजे सर्व-दिश वेद वाणी
ऋषियों की अमृत वाणी
कर तिरंगे का अभिनंदन
शहीदों का हो नित वंदन
इस देश की माटी चंदन
दिल में प्रीत का स्पंदन
ईसा, वाहे गुरू, राम-रहीम
दिल में बसते श्याम-करीम
अनुपम धरा है अतुल्य देश
करनी है पूरी जो कमी शेष
भूखा बचपन ना बिलखे
खुशी हर आँगन किलके
साक्षर हों सब नर-नारी
नव प्रभात हो उजियारी
विज्ञान, तकनीक से उन्नत
लोक-कल्याण में हो प्रणत
पाये वही गौरव अतीत का
प्रणेता महान संस्कृति का
सोने की चिड़िया कहलाए
खुशी घर-आँगन डेरा लगाए
विश्व-विजेता; अमन ले आए
उन्न्त प्यारा परचम लहराए
-सुशीला श्योराण