वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |
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Thursday, 26 January 2012

मेरा देश






गूँजे सर्व-दिश वेद वाणी

ऋषियों की अमृत वाणी


कर तिरंगे का अभिनंदन

शहीदों का हो नित वंदन



इस देश की माटी चंदन

दिल में प्रीत का स्पंदन


ईसा, वाहे गुरू, राम-रहीम

दिल में बसते श्याम-करीम


अनुपम धरा है अतुल्य देश
 

करनी है पूरी जो कमी शेष


भूखा बचपन ना बिलखे

खुशी हर आँगन किलके


साक्षर हों सब नर-नारी

नव प्रभात हो उजियारी



विज्ञान, तकनीक से उन्नत

लोक-कल्याण में हो प्रणत



पाये वही गौरव अतीत का

प्रणेता महान
संस्कृति का



सोने की चिड़िया कहलाए

खुशी घर-आँगन डेरा लगाए



विश्व-विजेता; अमन ले आए

उन्न्त प्यारा परचम लहराए



-सुशीला श्योराण