इश्क
हिना है
पिसती है
सजती है
महकती है
चढ़े बला
का शोख रंग
खिल
उठे अंग-अंग
गुज़रते
वक्त के साथ
हो जाए रंग फ़ीका
रह
जाएँ सूनी हथेली
और कुछ
भद्दे से चकत्ते
एक सूना तड़पता दिल
टीसता रहे ज़ख्मों से
खूबसूरत चेहरों ने जो
भद्दी
यादों के दिए....
- सुशीला श्योराण
चित्र : साभार गूगल