वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |
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Wednesday, 26 September 2012

इश्‍क



इश्‍क
हिना है
पिसती है
सजती है
महकती है
चढ़े बला का शोख रंग
खिल उठे अंग-अंग
गुज़रते वक्‍त के साथ
हो जाए 
रंग फ़ीका 
रह जाएँ सूनी हथेली
और कुछ भद्‍दे से चकत्‍ते 
एक सूना तड़पता दिल
टीसता रहे ज़ख्‍मों से
खूबसूरत चेहरों ने जो
भद्‍दी यादों के दिए....

- सुशीला श्योराण

चित्र : साभार गूगल