इश्क
हिना है
पिसती है
सजती है
महकती है
चढ़े बला
का शोख रंग
खिल
उठे अंग-अंग
गुज़रते
वक्त के साथ
हो जाए रंग फ़ीका
रह
जाएँ सूनी हथेली
और कुछ
भद्दे से चकत्ते
एक सूना तड़पता दिल
टीसता रहे ज़ख्मों से
खूबसूरत चेहरों ने जो
भद्दी
यादों के दिए....
- सुशीला श्योराण
चित्र : साभार गूगल
बहुत सुन्दर,
ReplyDeleteइश्क हिना ही तो है....
अनु
शुक्रिया अनु।
Deleteइश्क हिना है हिना मेहदी है,तो,,,,,,
ReplyDeleteमेहदी रंग लाती है पिसने के बाद,,,,
RECENT POST : गीत,
धन्यवाद धीरेन्द्र जी ! जल्दी ही आपके ब्लॉग पर आऊँगी। अर्ध-वार्षिक परीक्षा के कारण अत्यंत व्यस्त हूँ। आशा करती हूँ आप समझेंगे !
Deleteबहत बढ़िया रचना है .बढ़िया रूपक उठाया है आखिर तक निभाया है .हाँ इश्क ,कुट्ता ,पिटता है ,तब परवान चढ़ता है .इश्क का नशा उतरता भी है पर एक आयाम और भी है इश्क मोहब्बत का -मोहब्बत में कोई मुसीबत नहीं है ,
ReplyDeleteमुसीबत तो यह है मोहब्बत नहीं है .
ब्लॉग के रिश्ते निभाइए .औरों के ब्लॉग पे भी जाइए टिपण्णी बरसाइये ,देखते देखते फिर छा जाइए ,आइये ,आजाइए ,आजाइए ,टिपण्णी साथ लाइए .
ram ram bhai
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बुधवार, 26 सितम्बर 2012
मेरी संगत अच्छी है
बहुत सुन्दर..
ReplyDeleteहार्दिक आभार महेशवरी जी !
Deleteइश्क और हिना का नाता ऐसा है जो जितना पिसे उतना निखरे ,बहुत खूब लिखा है ,बधाई|
ReplyDeleteआपकी प्रतिक्रिया सृअन के लिए ऊर्जा प्रदान करती है। हार्दिक आभार संगीता जी।
Deleteइश्क ... हिना, वाह !
ReplyDeleteआपकी उपस्थिति प्रोत्साहित करती है रश्मि जी ! तहे दिल से शुक्रिया।
Deleteकविता पसंद करने और नई-पुरानी हलचल के लिए चुनने के लिए धन्यवाद यशवन्त जी।
ReplyDeletehina jaisa rang chhutta hi nahi:)
ReplyDeleteइश्क
ReplyDeleteहिना ही तो है......wah....
sach kaha hai apne apni panktiyon kay mdhyam say....shuru say ant tak....bilkul satik
ReplyDeleteहिना इश्क है या जीवन है यहाँ दुखद यादों के जख्म भी है ..बेहद सार्थक एवं गहन अभिव्यक्ति ..
ReplyDeleteएकदम सही कहा है आपने..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना...
सुन्दर...
:-):-)
और सूना दिल
ReplyDeleteटीसता है ज़ख्मों से
जो खूबसूरत चेहरों ने
भद्दी यादों के दिए....yakinan yahi ishq hai..