८ मई २०१३
१.
सूर्य प्रचंड
दग्ध अग्नि का कुंड
तपे भूखंड।
२.
जेठ निष्ठुर
उठते बवंडर
जलूँ, न जल।
३.
तड़की धरा
सूर्य-प्रकोप देख
किसान डरा।
४.
लू तेरे बाण
नित हरते प्राण
मेघा ही त्राण।
५.
वीरान रास्ते
साँस रोके खड़े हैं
दरख़्त सारे।
६.
नीर-तलैया
ढूँढ रहे हैं प्राणी
पेड़ की छैंया।
७.
मेघा न आए
सूखे कुँए, बावड़ी
रवि तपाए।
८.
घर के छज्जे
जल का पात्र देख
पंछी हरखे।
९.
कारी बदरी
उमड़-घुमड़ आ
बाट गहरी।
१०.
चली पुरवा
लाई है संदेसवा
पी बिदेसवा।
- सुशीला श्योराण ‘शील’
१.
सूर्य प्रचंड
दग्ध अग्नि का कुंड
तपे भूखंड।
२.
जेठ निष्ठुर
उठते बवंडर
जलूँ, न जल।
३.
तड़की धरा
सूर्य-प्रकोप देख
किसान डरा।
४.
लू तेरे बाण
नित हरते प्राण
मेघा ही त्राण।
५.
वीरान रास्ते
साँस रोके खड़े हैं
दरख़्त सारे।
६.
नीर-तलैया
ढूँढ रहे हैं प्राणी
पेड़ की छैंया।
७.
मेघा न आए
सूखे कुँए, बावड़ी
रवि तपाए।
८.
घर के छज्जे
जल का पात्र देख
पंछी हरखे।
९.
कारी बदरी
उमड़-घुमड़ आ
बाट गहरी।
१०.
चली पुरवा
लाई है संदेसवा
पी बिदेसवा।
- सुशीला श्योराण ‘शील’