वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |
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Saturday, 15 December 2012

रिश्‍ते




ताँका – रिश्‍ते

१)
जीवन-पूँजी
होते मन के रिश्‍ते
बाँधे प्रेम से
सुख-दुख के साथी
ज्यों दीया और बाती

२)
जन्म के साथ
मिलते हैं रिश्‍ते भी
कई ज्यूँ फूल
कई चुभें ज्यूँ शूल
कई देह की भूल

३)
देखा अक्‍सर
लहू को होते पानी
वही कहानी
किया बेघर हमें
सौंपा था घर जिन्हें

४)
क्यूँ होता है यूँ
अक्‍सर दुनिया में
खूब स्‍नेह से
सींचें जिन रिश्‍तों को
छोड़ें तन्हा हमको

५)
उतार फ़ेंके
केंचुली की तरह
प्यार के रिश्‍ते
आँसुओं संग बहे
रिसते रहे रिश्‍ते

-सुशीला श्योराण 
'शील’

चित्र - साभार गूगल