ताँका – रिश्ते
१)
जीवन-पूँजी
होते मन के रिश्ते
बाँधे प्रेम से
सुख-दुख के साथी
ज्यों दीया और बाती
२)
जन्म के साथ
मिलते हैं रिश्ते भी
कई ज्यूँ फूल
कई चुभें ज्यूँ शूल
कई देह की भूल
३)
देखा अक्सर
लहू को होते पानी
वही कहानी
किया बेघर हमें
सौंपा था घर जिन्हें
४)
क्यूँ होता है यूँ
अक्सर दुनिया में
खूब स्नेह से
सींचें जिन रिश्तों को
छोड़ें तन्हा हमको
५)
उतार फ़ेंके
केंचुली की तरह
प्यार के रिश्ते
आँसुओं संग बहे
रिसते रहे रिश्ते
-सुशीला श्योराण 'शील’
चित्र - साभार गूगल
रिश्तों पे न्योछावर सुन्दर ताँके लाजवाब प्रस्तुति
ReplyDeleteअरुन शर्मा
RECENT POST जिंदगी भर
रिश्तो पर लाजवाब प्रस्तुति..
ReplyDeleteभावप्रबल रचनाएँ ....
ReplyDeleteशुभकामनायें ॥
बहुत उम्दा भावमय सुंदर प्रस्तुति ,,,, बधाई।
ReplyDeleterecent post हमको रखवालो ने लूटा
बहुत सुंदर और सटीक
ReplyDelete