वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |

Tuesday, 25 December 2012

बदलनी होगी अब तस्वीर



युवा शक्‍ति को नमन! दामिनी/निर्भया को सलाम और उस बच्ची की सलामती की दुआ के साथ आज की प्रस्तुति -

कुहासा है या
घनीभूत हो गई है पीर
या शर्मसार हो रवि
छिप गया है घन के चीर

कौंध उठी है दामिनी
चुक गया है सबका धीर
बेटियों पर बरसाएँ डंडे
कैसे भैया पुलिसिया वीर?

जनता हुँकार उठी है
नहीं देश किसी की जागीर
बहुत सहा है हमने लेकिन
बदलनी होगी अब तस्वीर

-
शील

चित्र - साभार गूगल

2 comments:

  1. बिलकुल बदलनी होगी ... सार्थक अभिव्यक्ति

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  2. बहुत हो चुका,लेकिन अब तस्वीर बदलनी चाहिए,,,,

    recent post : समाधान समस्याओं का,

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