क्षणिकाएँ -
१)
मैं
चंदन हूँ
१)
मैं
चंदन हूँ
आग हूँ
सबने समझा राख
अंगार हूँ मैं
बर्फ़-सी शीतलता
लावे-सी दहक हूँ
फूल पर शबनम
एक महक हूँ मैं
सबने समझा पीर
एक शमशीर हूँ मैं !
२)
ये तन्हाइयाँ
२)
ये तन्हाइयाँ
ये तन्हाइयाँ
परेशानियाँ
दुश्वारियाँ
क्यूँ है गमनशीं
ए हमनशीं
क्या रूका है यहाँ
जो ये रूकेंगी
हो जाएँगी रूखसत
ज़रा पलक उठा के देख
मेरी आँखों में तुम्हें
उम्मीदें दिखेंगी......
३)
बैरन सुबह
बैरन सुबह
बैरन सुबह
कभी ना आए
मुँदी पलकें
पलकों में सजन
कभी ना जाए
४)
ये फ़ासले
४)
ये फ़ासले
ये फ़ासले
नापते हुए तुम
आओगे पास
करोगे सज़दे
छुपा लोगे मुझे
बाँहों के घेरे में
यकीं है मुझे
क्य़ूँकि मैंने
मेरे हमनवा
मुहब्बत नहीं
इबादत की है
५)
मैं और मेरी कलम !
५)
मैं और मेरी कलम !
कल्पना की उड़ान के बीच
विचारों को सहेजने-बाँधने के बीच
जो विचार खो जाते हैं
उन्हें पकड़ने की ऊहा-पोह में
अक्सर कहीं खो जाते हैं
मैं और मेरी कलम !
६)
६)
मेरे दोनों बेटों के लिए -
तुम्हीं मेरे चंदा
झिलमिल दो तारे
सूरज से दीप्यमान
नक्षत्र मेरे उजियारे
तुम्हीं बगिया के फूल
हरते जीवन के शूल
मेरी पाक़ दुआ
ख़ुदा का तुममें नूर
तुम्हीं मेरा गुरुर
७)
जब मन एक हों
तन मंदिर हो जाते हैं
आत्मिक हो प्रेम तो
शरीर शिवाले हो जाते हैं
- सुशीला श्योराण ‘शील’
तुम्हीं मेरा गुरुर
७)
जब मन एक हों
तन मंदिर हो जाते हैं
आत्मिक हो प्रेम तो
शरीर शिवाले हो जाते हैं
- सुशीला श्योराण ‘शील’
३)
ReplyDeleteबैरन सुबह
बैरन सुबह
कभी ना आए
मुँदी पलकें
पलकों में सजन
कभी ना जाए
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रात भर जागती है बैरन रात
नींद बैठी मलाल करती है
आपके कमेन्ट मुझे मेल पर मिलते हैं ब्लॉग पर नहीं दिखते
मन को सुखद और गंभीर भाव की तरफ जोड़ती क्षणिकायें
ReplyDeleteआप जो भी लिखती है----वह भावपूर्ण होता है---बधाई
बहुत खूबशूरत सुंदर क्षणिकाएँ,,,,,
ReplyDeleterecent post: बात न करो,
लाजवाब हैं सभी क्षणिकाएं ... अपनी बात को प्रखरता से रखते हुवे ...
ReplyDeleteसभी क्षणिकाएं बेहतरीन
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