वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |

Sunday 2 December 2012

क्षणिकाएँ


क्षणिकाएँ -

)

मैं

चंदन हूँ
आग हूँ 
सबने समझा राख
अंगार हूँ मैं
बर्फ़-सी शीतलता
लावे-सी दहक हूँ
फूल पर शबनम
एक महक हूँ मैं
सबने समझा पीर
एक शमशीर हूँ मैं !

२)
ये तन्हाइयाँ
  

ये तन्हाइयाँ
परेशानियाँ
दुश्‍वारियाँ
क्यूँ है गमनशीं
ए हमनशीं
क्या रूका है यहाँ
जो ये रूकेंगी
हो जाएँगी रूखसत
ज़रा पलक उठा के देख
मेरी आँखों में तुम्हें
उम्मीदें दिखेंगी...... 
३)
बैरन सुबह
 

बैरन सुबह
कभी ना आए
मुँदी पलकें
पलकों में सजन
कभी ना जाए

४)
ये फ़ासले
  

ये फ़ासले
नापते हुए तुम
आओगे पास
करोगे सज़दे
छुपा लोगे मुझे
बाँहों के घेरे में
यकीं है मुझे 
क्य़ूँकि मैंने
मेरे हमनवा
मुहब्बत नहीं
इबादत की है

५)
मैं
 और मेरी कलम !

कल्पना की उड़ान के बीच
विचारों को सहेजने-बाँधने के बीच
जो विचार खो जाते हैं 
उन्हें पकड़ने की ऊहा-पोह में
अक्सर कहीं खो जाते हैं
मैं और मेरी कलम !

६)
मेरे दोनों बेटों के लिए -

तुम्हीं मेरे चंदा
झिलमिल दो तारे
सूरज से दीप्यमान
नक्षत्र मेरे उजियारे
तुम्हीं बगिया के फूल
हरते जीवन के शूल
मेरी पाक़ दुआ
ख़ुदा का तुममें नूर
तुम्हीं मेरा गुरुर

७)
जब मन एक हों
तन मंदिर हो जाते हैं
आत्मिक हो प्रेम तो
शरीर शिवाले हो जाते हैं

- सुशीला श्योराण 
शील’

5 comments:

  1. ३)
    बैरन सुबह

    बैरन सुबह
    कभी ना आए
    मुँदी पलकें
    पलकों में सजन
    कभी ना जाए
    ===========================
    रात भर जागती है बैरन रात
    नींद बैठी मलाल करती है

    आपके कमेन्ट मुझे मेल पर मिलते हैं ब्लॉग पर नहीं दिखते

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  2. मन को सुखद और गंभीर भाव की तरफ जोड़ती क्षणिकायें
    आप जो भी लिखती है----वह भावपूर्ण होता है---बधाई

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  3. बहुत खूबशूरत सुंदर क्षणिकाएँ,,,,,

    recent post: बात न करो,

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  4. लाजवाब हैं सभी क्षणिकाएं ... अपनी बात को प्रखरता से रखते हुवे ...

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  5. सभी क्षणिकाएं बेहतरीन

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