हर शब्द हुंकार है
हर शब्द ललकार
शक्ति का निनाद है
बदलाव का शंखनाद
बहुत सहे आघात
करना होगा प्रतिघात
कुंकुम, महावर नहीं
शस्त्र ही तेरा शृंगार
दामिनी की तरह
हर स्त्री को लड़ना है
नहीं मुँह ढाँप
अनाचार सहना है
केवल नारे, विरोध नहीं
अब लड़ कर दिखाना है
काल हूँ तेरी
हर वहशी को बताना है
-शील
चित्र : साभार गूगल
शक्ति का निनाद है
बदलाव का शंखनाद
बहुत सहे आघात
करना होगा प्रतिघात
कुंकुम, महावर नहीं
शस्त्र ही तेरा शृंगार
दामिनी की तरह
हर स्त्री को लड़ना है
नहीं मुँह ढाँप
अनाचार सहना है
केवल नारे, विरोध नहीं
अब लड़ कर दिखाना है
काल हूँ तेरी
हर वहशी को बताना है
-शील
चित्र : साभार गूगल
यही होना चाहिए ... सुंदर प्रस्तुति ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सुशिलाजी
ReplyDeleteबहुत अच्छी बात कही है आपने...
ReplyDeleteऐसा ही करना चाहिए....
सहमत हूं आपकी बात से ... नारी को चंडिका बनना होगा ...
ReplyDeleteसमय की पुकार यही है ...