वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |

Friday 21 December 2012

हर शब्द हुंकार है






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 हर शब्द हुंकार है
हर शब्द ललकार
शक्‍ति का निनाद है
बदलाव का शंखनाद

बहुत सहे आघात
करना होगा प्रतिघात
कुंकुम, महावर नहीं
शस्त्र ही तेरा शृंगार

दामिनी की तरह
हर स्‍त्री को लड़ना है
नहीं मुँह ढाँप
अनाचार सहना है

केवल नारे, विरोध नहीं
अब लड़ कर दिखाना है
काल हूँ तेरी
हर वहशी को बताना है

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शील

चित्र : साभार गूगल
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4 comments:

  1. यही होना चाहिए ... सुंदर प्रस्तुति ...

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  2. बहुत सुन्दर सुशिलाजी

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  3. बहुत अच्छी बात कही है आपने...
    ऐसा ही करना चाहिए....

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  4. सहमत हूं आपकी बात से ... नारी को चंडिका बनना होगा ...
    समय की पुकार यही है ...

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