वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |

Saturday 27 April 2013

अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो




रह-रह कानों में
पिघले शीशे-से गिरते हैं शब्द
"
अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो"।

ज़हन में 
देती हैं दस्तक
घुटी-घुटी आहें, कराहें
बिटिया होना
दिल दहलाने लगा है
कितने ही अनजाने खौफ़
मन पालने लगा है
मर्दाने चेहरे 
दहशत होने लगे हैं
उजाले भी 
अंधेरों-से डसने लगे हैं !

बेबस से पिता
घबराई-सी माँ
कब हो जाए हादसा
न जाने कहाँ !

कुम्हला रही हैं
खिलने से पहले
झर रही हैं
महकने से पहले
रौंद रहे हैं
मानवी दरिंदे
काँपती हैं 
ज्यों परिंदे
अहसासात
मर गए हैं
बेटियों के सगे
डर गए हैं।

-
शील

चित्र - साभार गूगल

15 comments:


  1. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (28-04-2013) के चर्चा मंच 1228 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ

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    1. शुक्रिया अरूण जी

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  2. आज की ब्लॉग बुलेटिन १०१ नॉट आउट - जोहरा सहगल - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  3. धन्यवाद तुषार जी । अवश्‍य आएँगे आपकी पोस्ट पर ।

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  4. सुंदर प्रस्तुति .....

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  5. आज के परिवेश का कच्चा-चिटठा खोल रही है ये रचना।
    आभार !

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  6. "अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो"-आज हर बिटिया यही सोच रही होगी.हालात दिन पर दिन बदतर होते जा रहें है.

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  7. सच में बहुत तकलीफ देह है यह कहना की अगले जन्म मोहे बिटिया ना कीजो ......

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  8. दुखद स्थिति की बयां करती रचना !!!
    डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
    latest postजीवन संध्या
    latest post परम्परा

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  9. आज के समय को देखते हुए डर जायज ही है ....

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  10. माता-पिता के मन में चिंता पैदा होना लाजमी है। अगले जन्म में बेटी पैदान करना कहना दर्दभरा है। हम आशा कर सकते हैं हैवानियत से शहिद,पीडित बच्चियों का दर्द हम सब महसूस कर दुनिया सुंदर बनाने की कोशिश करें।

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  11. ये डर आज हर मन मे काबिज है

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  12. यही डर आज सभी माँ बाप के म्न क्प डरा रहा है..इसी संदर्भ में देखिए मेरी भी रचना..: माँ का आंचल"

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