तुम हो !
______
तुम नहीं हो
जानता है दिल
मानता नहीं
क्योंकि
तुम्हारा प्रेम
आज भी सींचता है
मन की प्यास को
जब भी अकेली होती हूँफट पड़ता है यादों का बादलडूबने लगती हूँ मैं
नीचे और नीचेयकायक तुम
आ बैठते हो पास
थाम लेते हो
मज़बूत बाँहों सेदीप्त हो उठता है
तुम्हारा चेहरा
प्रेम की लौ से
मेरी प्रीत
उस लौ में जलकर
हो जाती है फ़ीनिक्स !
कौन कहता है
दुनिया से जाने वाले
नहीं लौटते
ज़रूर लौटते हैं
ज़िस्मों के पार
गर रिश्ते रूहानी हों
रूहानी हो पीर !
-सुशीला
चित्र : साभार गूगल
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तुम नहीं हो
जानता है दिल
मानता नहीं
क्योंकि
तुम्हारा प्रेम
आज भी सींचता है
मन की प्यास को
जब भी अकेली होती हूँफट पड़ता है यादों का बादलडूबने लगती हूँ मैं
नीचे और नीचेयकायक तुम
आ बैठते हो पास
थाम लेते हो
मज़बूत बाँहों सेदीप्त हो उठता है
तुम्हारा चेहरा
प्रेम की लौ से
मेरी प्रीत
उस लौ में जलकर
हो जाती है फ़ीनिक्स !
कौन कहता है
दुनिया से जाने वाले
नहीं लौटते
ज़रूर लौटते हैं
ज़िस्मों के पार
गर रिश्ते रूहानी हों
रूहानी हो पीर !
-सुशीला
चित्र : साभार गूगल
ज़रूर लौटते हैं
ReplyDeleteज़िस्मों के पार
गर रिश्ते रूहानी हों
रूहानी हो पीर
गहन और बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति ...!!
बहुत बढ़िया रूपक उठाया है इस कविता में रूहानी प्रेम में तो ईश्वर भी बहुरिया बन जाता है .बढ़िया रचना भाव विरेचक .
ReplyDeleteram ram bhai
शनिवार, 22 सितम्बर 2012
असम्भाव्य ही है स्टे -टीन्स(Statins) से खून के थक्कों को मुल्तवी रख पाना
सुनहरी खूबसूरत मिथकीय पक्षी उकाब सा ,खूबसूरत परों वाला जो न सिर्फ ५००-१००० साल जीता है घोंसला बनाता है और उसी में जीवन भुगताने के बाद भस्म हो जाता है आग लगाकर .उसी भस्म से फिर पैदा हो जातें हैं उस के अंडे .
ReplyDeleteफिनीक्स अमरीका के अरिजोना राज्य की राजधानी है आबादी के हिसाब से अमरीका का छटा बड़ा नगर है दसवां मेट्रोपोलिस.
ram ram bhai
शनिवार, 22 सितम्बर 2012
असम्भाव्य ही है स्टे -टीन्स(Statins) से खून के थक्कों को मुल्तवी रख पाना
भाव विरेचक बेहतरीन रचना है आपकी ,बधाई .सुनहरी खूबसूरत मिथकीय पक्षी उकाब सा ,खूबसूरत परों वाला जो न सिर्फ ५००-१००० साल जीता है घोंसला बनाता है और उसी में जीवन भुगताने के बाद भस्म हो जाता है आग लगाकर .उसी भस्म से फिर पैदा हो जातें हैं उस के अंडे .
ReplyDeleteफिनीक्स अमरीका के अरिजोना राज्य की राजधानी है आबादी के हिसाब से अमरीका का छटा बड़ा नगर है दसवां मेट्रोपोलिस.
ram ram bhai
शनिवार, 22 सितम्बर 2012
असम्भाव्य ही है स्टे -टीन्स(Statins) से खून के थक्कों को मुल्तवी रख पाना
बहुत ख़ूबसूरत सृजन, बधाई.
Deleteकृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारें , अपना स्नेह प्रदान करें.
तुम्हारा चेहरा
ReplyDeleteप्रेम की लौ से
दीप्त हो जाता है
मेरी प्रीत
उस लौ में जलकर
हो जाती है फ़ीनिक्स
रचना आपकी पीर लिए है ,फीनिक्स दक्षिणी अर्द्ध गोल का एक तारामंडल (कोंस्तिलेशन)भी है .अमर प्रेम उसी तारमंडल के एक सितारा बन जाता है .जब जी चाहे देख लो .शीशा -ए -दिल में बसी तस्वीरे यार ,जज ज़रा गर्दन झुकाई ,देख ली .
ram ram bhai
शनिवार, 22 सितम्बर 2012
असम्भाव्य ही है स्टे -टीन्स(Statins) से खून के थक्कों को मुल्तवी रख पाना
ज़रूर लौटते हैं
ReplyDeleteज़िस्मों के पार
गर रिश्ते रूहानी हों
रूहानी हो पीर ...sahi bat...
कौन कहता है
ReplyDeleteदुनिया से जाने वाले
नहीं लौटते
ज़रूर लौटते हैं
ज़िस्मों के पार
गर रिश्ते रूहानी हों
रूहानी हो पीर !
सुंदर सृजन, भावपूर्ण लेखन.
बधाई सुशीला जी.
कौन कहता है
ReplyDeleteदुनिया से जाने वाले
नहीं लौटते
ज़रूर लौटते हैं
ज़िस्मों के पार
गर रिश्ते रूहानी हों
रूहानी हो पीर !...sach hai
बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति .....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ....
ReplyDeleteसुन्दर भाव अभिव्यक्ति...
:-)