वीथी
वीथी
हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |
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Saturday, 20 August 2011
वो
मेरे वज़ूद, मेरी हस्ती पे छा गया
बन के प्यार, दिल में समा गया
हर पल उसका नाम, उसका ख़याल
होठों पे मेरे, प्रेम-गीत गुनगुना गया
तरसते हैं हम
करने को
उससे गुफ्तगू
वो है कि मिल
हुजूम से हमें भुला गया
क्यों दिल बेताब है उसकी खातिर
जो हर बात से बचकर चला गया
2 comments:
Bharat Bhushan
24 August 2011 at 06:28
भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति.
MEGHnet
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sushila
25 August 2011 at 16:33
शुक्रिया भूषणजी |
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भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteMEGHnet
शुक्रिया भूषणजी |
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