वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |

Saturday, 20 August 2011

वो




मेरे वज़ूद, मेरी हस्ती पे छा गया
बन के प्यार, दिल में समा गया

हर पल उसका नाम, उसका ख़याल
होठों पे मेरे, प्रेम-गीत गुनगुना गया 


तरसते हैं हम करने को उससे गुफ्तगू
वो है कि मिल हुजूम से हमें भुला गया 


क्यों दिल बेताब है उसकी खातिर 
जो हर बात से बचकर चला गया



                     

2 comments:

  1. भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति.

    MEGHnet

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  2. शुक्रिया भूषणजी |

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