वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |

Thursday 14 November 2013

हाइकु बाल-दिवस



शुभ बाल-दिवस ! बच्‍चों के लिए स्‍नेह और संवेदना के साथ हाइकु कविता........

क्या चाहता मैं
बाल-दिवस पर
मेरी सुनो जी ।

मम्मी-पापा जी

तोहफ़ों का लालच
बंद करो जी ।

अपना साथ
थोड़ी ममता-प्यार
मुझको दो जी ।

सुबह-शाम
मायूसी में कटतीं
किसे बताऊँ ?

दोपहर मैं
जब स्कूल से आऊँ
तुम्हें न पाऊँ ।

कितनी रातें
राह तकता रहूँ
और सो जाऊँ ।

सुबह जगूँ
तुम्हें सोता ही छोड़
स्कूल आ जाऊँ ।

मैगी-नूडल
नहीं चाहिए मुझे
पक गया हूँ ।

दोस्तों के डब्बे
स्वाद-सुगंध लाएँ
मुँह में पानी !

पूरी-पराँठे
साथ सब्ज़ी-अचार
मुझको दो जी ।

रूखी-सूखी है
क्यों छोटी-सी ज़िंदगी
तुम सोचो जी !

- सुशीला श्योराण






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