- मेरी कलम से पिता जी के लिए - Happy Father's Day पापा !जिस पदचाप से
चौकन्नी हो जाती हवेली
जिस रौबीली आवाज़ से
सहम जातीं भीतें
दुबक जाते बच्चे
पसर जाती खामोशीसमय के कुएँ में
पैठता गया रौब
अब प्रतिध्वनि पर
नहीं ठहरता कुछ
चलता रहता है यंत्रवत
दैनिक कार्यकलाप। - ~~~~~~~~~~~~~~~~~
जब माँ थी
मालिक थे पिता
घर-बार-संसार
चलता मर्ज़ी से
माँ के जाते ही
मुँद गए किवाड़
अनाथ हुआ घर
आधे-अधूरे
हो गए पिता।-शील
पितृ दिवस को समर्पित बेहतरीन व सुन्दर
ReplyDeleteरचना
शुभ कामनायें...
शुक्रिया मुकेश जी
Deleteआभार नीरज जी जो आपने इस रचना को मान दिया ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...पितृ दिवस की शुभकामनायें..
ReplyDeleteधन्यवाद कैलाश जी।
Deleteसशक्त मन के भाव ...अभिव्यक्ति सहित
ReplyDeleteह्रदय से आभार अंजू जी।
Deleteसुशीला जी ! द्रवित कर गयी आपकी रचना...
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