वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |

Friday 23 March 2012

मेरा अज़ीज़




मेरा अज़ीज़ जो मेरे पास ठहर जाता है
ये कायनात हर लमहा वहीं ठहर जाता है

खुद भी कभी अपना वज़ूद हम पे लुटा के देख
क्यूँ दो कदम चल तेरा यकीन ठहर जाता है


बेपनाह की है मुहब्बत
उससे , रहे बावफ़ा
न जाने क्यूँ वो हम पे इतना कहर ढाता है

जो ज़ख्म 
उसने दिए,बने हैं नासूर ज़िंदगी के
महफ़िल में सबसे मासूम वो नज़र आता है


खुद से वादा किया न करेंगे दीदार तेरा
फ़िर क्यूँ तेरा ख्याल मुझे हर पहर आता है


-
सुशीला शिवरा

चित्र - साभार google

16 comments:

  1. खुद से वादा किया न करेंगे दीदार तेरा
    फ़िर क्यूँ तेरा ख्याल मुझे हर पहर आता है

    दिले नादान, यही तो मोहब्बत कहलाता है।
    कितनी संवेदनशील गजल,,,

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  2. वाह...
    सुन्दर गज़ल...

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  3. उसने दिए जो ज़ख्म बने हैं नासूर ज़िंदगी के
    महफ़िल में सबसे मासूम वो नज़र आता है... kya baat hai !

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  4. बेहतरीन भावपूर्ण गज़ल...

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  5. बहुत ही खूबसूरत


    सादर

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  6. क्यूँ दो कदम चल तेरा यकीन ठहर जाता है....

    बहुत खूबसूरत... वाह! उम्दा अशार...
    सादर।

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  7. बहुत ही सुन्दर..
    बढ़िया गजल....

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  8. बहुत अच्छी गज़ल है। वास्तव में गज़ल का विषय अच्छा हो तो वह सुकून देता है। इस गज़ल में वही सुकून का एहसास हो रहा है। सुशीलाजी आप लगातार लिखा करिए। मेरी ओर से ढेरों बधाईयाँ। परमात्मा आपकी लेखनी में बरकत दे।

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  9. जो सबसे अज़ीज़ हो,
    वह कहाँ दिलो दिमाग से जा पाता है ....
    जहाँ देखे जिधर देखें हम....
    चेहरा उसका हर सू नज़र आता है

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  10. उसने दिए जो ज़ख्म बने हैं नासूर ज़िंदगी के
    महफ़िल में सबसे मासूम वो नज़र आता हैvery nice....

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  11. बेपनाह की है उससे मुहब्बत, रहे बावफ़ा
    न जाने क्यूँ वो हम पे इतना कहर ढाता है

    वाह ... बहुत खूबसूरत गजल

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  12. उसने दिए जो ज़ख्म बने हैं नासूर ज़िंदगी के
    महफ़िल में सबसे मासूम वो नज़र आता है

    hasil e gazal sher hai ye! mujeh aisa laga!

    bahut hi khoobsurat ashaar1

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  13. दिल को छूती सुंदर ग़ज़ल बनी है.

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