वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |

Tuesday 1 January 2013

हाइकु,ताँका दामिनी को समर्पित



दामिनी के शोक में नव-वर्ष नहीं मना रही हूँ। मेरे उद्‍गार हाइकु और ताँका में पढ़िए -

१)
आ नव-वर्ष
क्षुब्ध भारतवर्ष
ला न्याय, हर्ष !

२)
नारी-सम्मान
नव-वर्ष संकल्प
हर नर का !

३)
मैं मुहाफ़िज़
न होंगी बेआबरू
बेटियाँ प्यारी।

४)
बर्फ़ हुई जो
पिघले संवेदना
मेरी-तुम्हारी !

५)
बेहतर हो
कल मेरा-तुम्हारा
शुभकामना !

ताँका


उबरना है
शर्म से क्षोभ से तो
करो ये वादा
दामिनी का इंसाफ़
रहे ध्येय हमारा।

- शील

6 comments:

  1. आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवार के चर्चा मंच पर ।।

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  2. जन आक्रोश
    अंज़ाम है चाहता
    हक़ के साथ
    ....

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  3. बहुत सार्थक और प्रभावी प्रस्तुति...नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!

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  4. ♥(¯`'•.¸(¯`•*♥♥*•¯)¸.•'´¯)♥
    ♥नव वर्ष मंगलमय हो !♥
    ♥(_¸.•'´(_•*♥♥*•_)`'• .¸_)♥




    आ नव-वर्ष
    क्षुब्ध भारतवर्ष
    ला न्याय, हर्ष !

    आमीन !
    आगत का स्वागत है ...
    आशाएं जीवित रहना भी बहुत आवश्यक है ।

    आदरणीया बहन सुशीला जी

    इस बलात्कार कांड को देश के विगत 3-4 वर्ष के हालात से जोड़ कर देखेँ तो समझ आएगा कि हर नागरिक को सजगता से अपना दायित्व निभाने का समय आ गया है...
    अब भी गफ़लत में रहे तो हम ही हमारी भावी पीढ़ियों के अपराधी होंगे ...
    खोखली मानसिकता बदलनी चाहिए
    नपुंसक व्यवस्था बदलनी चाहिए
    सड़ी-गली नीति बदलनी चाहिए
    यह सरकार बदलनी चाहिए
    # मतदान के समय हमें विगत वर्षों के बलात्कार कांड , तंदूर कांड , तेज़ाब कांड आदि आदि और इनसे जुड़े हुए बहुत सारे अपराधी जो सत्ता का हिस्सा बने संसद और विधानसभाओं में हमारे सीनों पर सवार हैं , को याद रखना आवश्यक है ।
    हमें ही हल निकालना है अपनी मुश्किलात का
    जवाब के लिए किसी सवाल को तलाश लो !
    लहू रहे न सर्द अब उबाल को तलाश लो !
    दबी जो राख में हृदय की ज्वाल को तलाश लो !


    पांचों हाइकु अच्छे हैं और तांका भी ...
    उत्कृष्ट सामयिक रचनाओं के लिए पुनः साधुवाद !

    नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित…
    राजेन्द्र स्वर्णकार
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  5. bhut khooob hyku v tankas ,yeh bhi dekhe

    काँच का बस एक घर है लड़कियों की जिन्दगी

    और काँटों की डगर है लड़कियों की जिन्दगी

    किस धरम, किस जात में इन्साफ इसको है मिला

    हो अहल्या या हो मीरा या हो बेशक जानकी

    मात्रा चलना आग पर है लड़कियों की जिन्दगी

    द्रोपदी हो, पद्मिनी हो, हो भले ही डायना

    रोज लगती दाँव पर है लड़कियों की जिन्दगी

    जीतती सब हार कर है लड़कियों की जिन्दगी

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  6. बहुत सार्थक और प्रभावी प्रस्तुति..देर में सही पर नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित

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