वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |

Saturday 14 April 2012

कुछ हाइकु


कुछ हाइकु -

१.

मुद्दतें हुईं

खुल के हँसा है वो

रोने के बाद


२.

ओस की बूँद

रात रोई है धरा

दर्द गहरा


३.

रजनीगंधा

महकाए रतियाँ

सुबह न आ


४)

बौराए आम

कूके है कोय
लिया

मन विभोर


५)

ख्वाहिशें मेरी

भटकें दिन रैन

तुम बेपीर


६)

चाहत मेरी 

एक मुट्‍ठी आसमां

पाए दो जहां


-
सुशीला शिवराण

20 comments:

  1. Replies
    1. शुक्रिया संगीता जी

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  2. मुद्दतें हुईं

    खुल के हँसा है वो

    रोने के बाद


    ....बहुत खूब ! सभी हाइकु बहुत सुन्दर...

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  3. सभी हाइकु बहुत अच्छे हैं मैम!


    सादर

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  4. मुद्दतें हुईं

    खुल के हँसा है वो

    रोने के बाद...

    जी उठा
    आंसुओं की बारिश में
    नहाने के बाद

    सभी अच्छे हैं , मैंने भी कोशिश कर ली प्रेरित होकर

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  5. बहुत बेहतरीन....
    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

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  6. चाहत मेरी

    एक मुट्‍ठी आसमां

    पाए दो जहां
    ummeedon se paripurn, sundar.

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  7. वाह.....................

    बहुत सुंदर हायेकु................

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  8. बहुत सुन्दर सुशीलाजी

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  9. चाहत मेरी
    एक मुट्‍ठी आसमां
    पाए दो जहां..

    अनुपम भाव अभिव्यक्ति सुंदर हाइकू ...बेहतरीन पोस्ट
    .
    MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: आँसुओं की कीमत,....

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  10. बढ़िया प्रस्तुति ।
    आभार ।।

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  11. सभी हाइकु बहुत सुन्दर हैं .म्रे्रे ब्लांग मे आने के लिए ...

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  12. ओस की बूँद

    रात रोई है धरा

    दर्द गहरा
    बहुत सुन्दर

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  13. आदरणीया बहन सुशीला शिवराण जी
    नमस्कार !

    सुंदर हाइकु रचे आपने … आभार !

    शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित…
    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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  14. चाहत मेरी

    एक मुट्‍ठी आसमां

    पाए दो जहां ...

    काश ये चातात पूरी हो ... गज़ब के हाइकू हैं सभी .. समझाने में पूरे कामयाब पर कुछ ही शब्द ...

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  15. बेहतरीन रचना

    Arun
    www.arunsblog.in

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  16. सभी हाइकु बहुत मोहक और खास...

    बौराए आम
    कूके है कोयलिया
    मन विभोर

    बधाई सुशीला जी.

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